आम आदमी परेशान है फिर भी खुश है क्योंकि
विमुद्रीकरण से......
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गरीब सोचता है धन्नासेठों की वॉट लग गयी
नौकर सोचता है मालिक की वॉट लग गयी
मरीज़ सोचता है डॉक्टर की वॉट लग गयी
क्लर्क सोचता है साहब की वॉट लग गयी
जनसेवक सोचता है प्रशासक की वॉट लग गयी
प्रशासक सोचता है नेताओं की वॉट लग गयी
और नेता सोचता है विपक्ष की वॉट लग गयी।
सभी दुःखी हैं फिर भी खुश है..... दुसरो को दुःखी देखकर खुश होना मानव स्वाभाव जो है।
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